वीरों को नमन हमारा ।

कतरा कतरा जिसने अपना मातृभूमि के नाम किया था  |
हँसते हँसते प्राणों का फाँसी चढ़के बलिदान दिया था |
छाती पर जिसने खाई थी इनकलाब की गोलियाँ |
फँसी के फंदे को समझा खेल कूद की डोरियाँ |
मरते दम तक जिसने माँ भारती का जयगान किया था |
उन वीरों को नमन हमारा जिसने ऐसा बलिदान दिया था |

निर्भिक हो बचपन में खुदको, खुद आजाद नाम दिया था |
आजादी के दीवानों सा जिसने खुद को पहचान दिया था |
भय खाती थी जिसको देखकर अंग्रेजों की टोलियाँ |
ईद, दिवाली सभी त्यागकर झेलते थे वे गोलियाँ |
जीवन भर जिसने मातृभूमि को माता का सम्मान दिया था |
उन वीरों को नमन हमारा जिसने ऐसा बलिदान दिया था |

हर रिश्तों से ऊँचा जिसने भू भारत को मान दिया था |
जाती धर्म से ऊपर उठकर इस धरा पे अभिमान किया था |
जंजीरों में जिसने गाढ़ी थी आजादी की रंगोलियाँ |
आजादी के खातिर खेली अपने खूनों की होलियाँ |
मरते दम तक जिसने माँ भारती का जयगान किया था |
उन वीरों को नमन हमारा जिसने ऐसा बलिदान दिया था |

By Chandan Kumar Singh

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