ऐ जिन्दगी मेरा हक़ मेरा मुकाम दे दो |

ऐ जिन्दगी मेरा हक़ मेरा मुकाम दे दो |
जो मेरा है मुझको वो ईनाम दे दो |

यूँ उलझाओ ना नियमों के बंधन में मुझे,
मेरे इम्तिहान का मुझे ईनाम दे दो |

अब हिम्मत नहीं जुल्मों-सितम सहने की,
मुझे मेरे हिस्से का खुला आसमान दे दो |

दुःख, दर्द, आँसू के घूट बहुत पीये हमने,
अब तो मेरे हिस्से खुशी का जाम दे दो |

वो जिसके इंतजार में घड़ियाँ गिन रहे हम,
मेरे हिस्से का मुझको वो सामान दे दो |

हिला नींव तक देंगे अगर हक़ ना मिला तो,
जा के शहंशाहों को मेरा ये पैगाम दे दो |

किसी के हिस्से की मैं कभी मांगता नहीं,
छोड़ता नहीं मेरे हिस्से का ईनाम दे दो |

यूँ तो बिगड़ी बनाने के दावे बहुत करता तू,
दिखा जिगरा मुझको मेरा ईनाम दे दो |

जाने कब से बेचैन भटक रहा हूँ मैं,
बस अब मुझे मेरे हिस्से का काम दे दो |

संर्घष में नाम भी गुम सा गया चन्दन,
बस करो अब मुझको मेरा पहचान दे दो |

ऐ जिन्दगी मेरा हक़ मेरा मुकाम दे दो |
जो मेरा है मुझको वो ईनाम दे दो |

By Chandan Kumar Singh
                     चन्दन कुमार सिंह

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