ऐ मेरे मालिक तू, कुछ तो रहम कर दे।


ऐ मेरे मालिक तू
कुछ तो रहम कर दे
संवर जाये जिन्दगी यहाँ
ऐसा कोई करम कर दे |

कितनी कठिन परीक्षाएँ
तू लेता रहेगा जीवन भर
नित्य नव क्लेश-संकट
देता रहेगा तू दर-दर
अब तो शेष जीवन में
खुशियों का कुछ वर दे दे
ऐ मेरे मालिक तू
कुछ तो रहम कर दे

तू क्या जाने जीवन है क्या ?
पथरीली राहें काँटों भरा
हर दिन खुशियों की आश में
सहते हैं दुःख लोग क्या-क्या ?
जीवन के इन राहों को
कुछ तो आसान कर दे |
ऐ मेरे मालिक तू
कुछ तो रहम कर दे |

क्या बच्चे-बूढ़े और जवान
सब के सब हैं यहाँ परेशान
क्या इस जगत में तेरा
ठीक है ये विधान
इस घनघोर छाये अँधेरे को
कुछ तो कम कर दे
ऐ मेरे मालिक तू
कुछ तो रहम कर दे |

तू तो कहता दर तेरे जो आता
खाली हाथ कभी ना जाता
क्या तू ने भी अब अपना
बदल दिया है ये विधान
अगर नहीं तो हर जन का तू
दामन खुशियों से अब भर दे
ऐ मेरे मालिक तू
कुछ तो रहम कर दे |

जिसको देता घर भर देता
लाखों यहाँ है भूखा सोता
उलटा-पुलटा जाने क्यों तू
करता रहता है सब काम
दीन-हीन, दुखियों की भी तो
अब माँगे तू पूरी कर दे |
ऐ मेरे मालिक तू
कुछ तो रहम कर दे |

By Chandan Kumar Singh
                        चन्दन कुमार सिंह

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