अच्छे थे हम बच्चे थे |
हर सुबह उदासी, शाम उदासी
देखो तो सरेआम उदासी
दिन भी काली, रात भी काली
बस बदहाली और बदहाली
पहले सब कितने अच्छे थे
अच्छे थे हम बच्चे थे |
कभी पढाई, कभी कमाई
प्यार से ज्यादा है बेवफ़ाई
टेंशन, फैशन, झूठ का डंका
हरदम मन में संशय और शंका
कच्चे ही पहले अच्छे थे
अच्छे थे हम बच्चे थे |
सोने सा सुन्दर था सपना
प्रेम गली में घर था अपना
खेल-कूद और थोड़ी लड़ाई
माँ की गोद में लेते थे जम्हाई
सड़कें कच्चे पर रिश्ते पक्के थे
अच्छे थे हम बच्चे थे |
वो खेल-खेल में गाना गाना,
बे बात ही शोर मचाना
खुशियाँ तब कितने सस्ते थे
छोटी-छोटी बातों पर हँसते थे
सच्चे सब दिल के अच्छे थे
अच्छे थे हम बच्चे थे |
By Chandan Kumar Singh
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