कश्मीर हमारा हो गया।
भारत का गौरव मस्तक अब पूर्ण हमारा हो गया,
हटा तीन सौ सत्तर और कश्मीर हमारा हो गया ।
वर्षों तक जवानों ने, जाने कितनी कुर्बानी दी,
पत्थर खाकर भी उसने, मानवता की निशानी दी,
नेता रोटी सेक रहे थे, भूख, खून और कीमत पर,
ना फहरा पाते थे तिरंगा, घाटी में लाल चौक पर,
स्वप्न एक राष्ट्र एक झंडे का, पूर्ण हमारा हो गया,
हटा तीन सौ सत्तर और कश्मीर हमारा हो गया ।
जहां जलता था रोज तिरंगा, चौकों पर चौराहों पर,
चुप रहती थी बंदूके सारी, कायरों के ललकारो पर,
देख के शत्रु खुश होते थे, वीरों की लाचारी को,
सवा करोड़ झेल रहे थे, अपनों की गद्दारी को,
मोदी-शाह के एक वार में, पूर्ण राष्ट्र हमारा हो गया,
हटा तीन सौ सत्तर और कश्मीर हमारा हो गया ।
नहीं मिलती थी घाटी में, आजाद सासें जीने को,
देशभक्त मजबूर पड़े थे, खून के आंसू पीने को,
एक झटके में घाटी के, हर तख्त को हिला डाला,
कश्मीर का झंडा और, दर्जा भी सब मिटा डाला,
चप्पे-चप्पे पे भारत का, तिरंगा हमारा हो गया,
हटा तीन सौ सत्तर और कश्मीर हमारा हो गया ।
बेघर कर पंडितों को था, आतंकी अड्डा बना डाला,
धरती के एक स्वर्ग को था, एकदम नर्क बना डाला,
घाटी में अब देश विरोधी, नारा कभी न गुंजेगा,
होगी शांति सद्भाव और, कश्मीरियत अब झूमेगा,
एक तिरंगे के नीचे, पूर्ण राष्ट्र हमारा हो गया,
हटा तीन सौ सत्तर और कश्मीर हमारा हो गया ।
कितने मां के अश्कों को, आज जाके सुकून मिला है,
वर्षों से जलती घाटी को, एक नया कानून मिला है,
भारत मां की जय घोष पे सब, मातृभूमि को चुमेगा,
वंदे मातरम की धुन पर अब, कश्मीरी भी झूमेगा,
जन-गन-मन का स्वप्न पुराना, पूर्ण हमारा हो गया,
हटा तीन सौ सत्तर और कश्मीर हमारा हो गया ।
By Chandan Kumar Singh
रचनाकार - चन्दन कुमार सिंह
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