दरिया एक दिन पार करूँगा |


अभी भले मजधार में हूँ
पर दरिया एक दिन पार करूँगा |

चाहे जितनी तेज हो धारा
या हो अदृश्य सभी किनारा
चाहे धारा के विपरीत पड़े जाना
या फिर पड़े मौत से लड़ जाना
नहीं डरा हूँ नहीं डरूँगा
हर अरचन को पार करूँगा
अभी भले मजधार में हूँ
पर दरिया एक दिन पार करूँगा |

चाहे जितना घना हो अंधेरा
या हो दुश्मन का पग-पग डेरा
चाहे जितना अंजाना पथ हो
या फिर कोई अग्नि का पथ हो
नहीं रुका हूँ नहीं रुकूँगा
हर बाधाएँ पार करूँगा
अभी भले मजधार में हूँ
पर दरिया एक दिन पार करूँगा |

चाहे जितना अविश्वास हो
या टूटा-फूटा हर एहसास हो
चाहे जितना भूख-प्यास हो
या आग उगलता हुआ आकाश हो
नहीं झुका हूँ नहीं झुकूँगा
हर अवरोध को पार करूँगा
अभी भले मजधार में हूँ
पर दरिया एक दिन पार करूँगा |

चाहे जितनी भी हार हो
या फिर हर पल नया प्रहार हो
चाहे जितनी बार पड़े गिरना
या पड़े अनंत पीड़ा को सहना
नहीं हरा हूँ नहीं हारूँगा
गिरते-परते भी मंजिल पार करूँगा
अभी भले मजधार में हूँ
पर दरिया एक दिन पार करूँगा |

By Chandan Kumar Singh
                        चन्दन कुमार सिंह

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