एक गीत सुनाने आया हूॅं, कुछ बात पुरानी लाया हूॅं।


एक गीत सुनाने आ‌‌या हूं, कुछ बात पुरानी लाया हूं ।

मां की ममता जो भूल गए, मैं याद कराने आया हूं ।

एक गीत सुनाने आया हूं, कुछ बात पुरानी लाया हूं ।


छोटा सा था घर एक अपना, था छोटा सा संसार,

प्यार लुटाते थे जहां सभी, थी खुशियों की भरमार,

जब हम रुठते थे कभी तो, सब मनाते हमें हजार,

छोड़ आए हम वो गलियां, अब हो के समझदार,

अ ढूंढते रहते हैं जीवन भर, वो अपनापन वो प्यार,

नहीं खरीद सकते जिसे हम, चाहे पैसे हो भरमार,

छूटे रिश्तों का हर मोल मैं, बस याद कराने आया हूं,

एक गीत सुनाने आया हूं, कुछ बात पुरानी लाया हूं ।


जाने कितनी उंगलियां, हम पकड़ पकड़ कर खड़े हुए,

उनके हिस्से की खा खा कर, आज हम इतने बड़े हुए,

डांटते पीटते थे गुस्से में, पर प्यार बहुत हमें करते थे,

हमरी खुशीयों के खातिर वे, आपस में अक्सर लड़ते थे,

अपने स्वार्थ में बांट रहे हम, खुशियों की फुलवारी को, 

ममता-स्नेहा, प्यार-मोहब्बत, बच्चों की किलकारी को,

बचपन की वो बात पुरानी, बस याद दिलाने आया हूं,

एक गीत सुनाने आया हूं, कुछ बात पुरानी लाया हूं ।


कंधे पर हम बैठ चाचा के , मेला जाया करते थे,

लड्डू-जलेबी, खाजा-टिकरी, पेड़े खाया करते थे,

जाने कितनी रात लुटाई, मां ने बस हम पर जगकर,

पापा ने भी त्यागे अरमां, हमरी भविष्य सजाने पर,

मां-बाप की पीड़ा को क्यों, बिन बोले समझ ना पाते हैं,

दूर-दूर और दूर बहूत हम, बस निकलते जाते हैं,

हर छोटी मोटी बातें पूरानी, फिर याद कराने आया हूं,

एक गीत सुनाने आया हूं, कुछ बात पुरानी लाया हूं ।


By Chandan Kumar Singh

                     चन्दन कुमार सिंह

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