क्या था मेरा कसूर !
एक तीर लगा
दिल पे कुछ ऐसा
जख्म बना नासूर
ना जानू
क्या था मेरा कसूर।-2
क्या अपना और क्या पराया
सबने रची बस झूठी माया
दिल से कोई अपना ना था
मेरा झूठा था गुरूर
ना जानू
क्या था मेरा कसूर।-2
कौन बताए क्यों किस्मत रूठा
किसे बताऊं दिल कितना टूटा
पाने का ना आश बचा है
पर जीने को मजबूर
ना जानू
क्या था मेरा कसूर।-2
सारे अरमां टूट के बिखरे
सपने हुए सब चिथरे -चिथरे
खुशियां मनाने लोग जुटे थे
मैं टूटता रहा जरूर
ना जानू
क्या था मेरा कसूर।-2
पल-पल कितना दर्द सहूं मैं
हर पल कितना और मरुं मैं
जाने क्या क्या और लिखा है
किस्मत में हजूर
ना जानू
क्या था मेरा कसूर।-2
By Chandan Kumar Singh
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