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Showing posts from January, 2020

कभी ना मन घबराना ।

जीवन के धूप छांव में, किसी की कुंठा कांव-कांव में, कभी ना मन घबराना, कभी ना मन घबराना, वक्त आएगा पाएगा सब, जो तूने ठाना । कभी मन तुझे प्यार मिलेगा, ना सोचा वो सत्कार मिलेगा, कुछ अग्रज कुछ यार मिलेगा, तब तुम सिमट बस जाना वक्त आएगा तभी पाएगा जो तूने ठाना । कभी मन तुझे वार मिलेगा,  जीत से ज्यादा हार मिलेगा,  कटु वचन, तकरार मिलेगा, तब ना मन घबराना वक्त आएगा पाएगा सब  जो तूने ठाना । सत्य कर्म के पथ पर चलना, पथिकों की ना चिंता करना, कांटो के राहों पर चलकर, जीवन-जीत का सार मिलेगा, बस मन तू ना घबराना वक्त आएगा पाएगा सब  जो तूने ठाना । रचनाकार - चंदन कुमार सिंह

बड़ा ही गजब है, ये दुनियां का मेला ।

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बड़ा ही गजब है, ये दुनिया का मेला, ना कोई साथ है, ना कोई अकेला । नहीं है पता हमें जाना किधर है फिर भी न जाने क्यों फ़िक्र ही फिक्र है रिश्ते भरे हैं, सब तनहा मगर है ना कोई साथी, ना कोई हमसफर है गिनती के दिन हैं अनगिनत झमेला । बड़ा ही गजब है, ये दुनिया का मेला, ना कोई साथ है, ना कोई अकेला । बड़ा ही गजब है, ये दुनिया का मेला। हरी-भरी बस्ती है मझधार कश्ती है दुख में डूबा यहां हर एक हस्ती है, आज नहीं बस कल की फिकर है, ना कुछ हुनर है ना पारखी नजर है, सुख के साथी सब दुख में अकेला । बड़ा ही गजब है, ये दुनिया का मेला, ना कोई साथ है, ना कोई अकेला । बड़ा ही गजब है, ये दुनिया का मेला। जीत में जीत नहीं, हार में प्रहार, इधर, उधर, जिधर, तीधर, बस है तकरार, ममता का मोल नहीं, टेढ़ी है चाल, दोष देखें सबकी, ना देखे अपनी हाल, नाम, काम, सोहरत, है स्वार्थ का रेला यहां ना गुरु कोई ना कोई चेला । बड़ा ही गजब है, ये दुनिया का मेला, ना कोई साथ है, ना कोई अकेला । बड़ा ही गजब है, ये दुनिया का मेला। रचनाकार - चन्दन कुमार सिंह

कश्मीर हमारा हो गया।

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भारत का गौरव मस्तक अब पूर्ण हमारा हो गया, हटा तीन सौ सत्तर और कश्मीर हमारा हो गया । वर्षों तक जवानों ने, जाने कितनी कुर्बानी दी, पत्थर खाकर भी उसने, मानवता की निशानी दी, नेता रोटी सेक रहे थे, भूख, खून और कीमत पर, ना फहरा पाते थे तिरंगा, घाटी में लाल चौक पर, स्वप्न एक राष्ट्र एक झंडे का, पूर्ण हमारा हो गया, हटा तीन सौ सत्तर और कश्मीर हमारा हो गया । जहां जलता था रोज तिरंगा, चौकों पर चौराहों पर, चुप रहती थी बंदूके सारी, कायरों के ललकारो पर, देख के शत्रु खुश होते थे, वीरों की लाचारी को, सवा करोड़ झेल रहे थे, अपनों की गद्दारी को, मोदी-शाह के एक वार में, पूर्ण राष्ट्र हमारा हो गया, हटा तीन सौ सत्तर और कश्मीर हमारा हो गया । नहीं मिलती थी घाटी में, आजाद सासें जीने को, देशभक्त मजबूर पड़े थे, खून के आंसू पीने को, एक झटके में घाटी के, हर तख्त को हिला डाला, कश्मीर का झंडा और, दर्जा भी सब मिटा डाला, चप्पे-चप्पे पे भारत का, तिरंगा हमारा हो गया, हटा तीन सौ सत्तर और कश्मीर हमारा हो गया । बेघर कर पंडितों को था, आतंकी अड्डा बना डाला, धरती के एक स्वर्ग को था, एकदम नर्क...

उन्नयन उन्नयन होगा उन्नयन ।

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उन्नयन-उन्नयन होगा उन्नयन, बिहार का उन्नयन होगा उन्नयन । छात्रों के हर स्वप्न का, पाठ के हर प्रश्न का, ज्ञान और शिक्षा का, हर विषय और परीक्षा का, गुणवत्ता और परिणाम का, राज्य पे अभिमान का, उन्नयन-उन्नयन होगा उन्नयन, बिहार का उन्नयन होगा उन्नयन । नव दृष्टिकोण जगाने का, शिक्षण को सरल बनाने का, विषय बोध कराने का, प्रयोग को दिखलाने का, समझने और समझाने का, प्रश्न-उत्तर बतलाने का, उन्नयन-उन्नयन होगा उन्नयन, बिहार का उन्नयन होगा उन्नयन । जीवन, शिक्षण और सीख का, शिक्षा में तकनीक का, हर हार से जीत का, पुस्तक से प्रेम और प्रीत का, निराशा से आशा का, अंबर छूने की अभिलाषा का, उन्नयन-उन्नयन होगा उन्नयन, बिहार का उन्नयन होगा उन्नयन । अस्तित्व का व्यक्तित्व का, निष्ठा और चरित्र का, समाज और शिष्टाचार का, ज्ञान के अधिकार का, भाषा और परिभाषा का, बच्चों की हर जिज्ञासा का, उन्नयन-उन्नयन होगा उन्नयन, बिहार का उन्नयन होगा उन्नयन । विद्या के हर आलय का, गुरु-शिष्य-पुस्तकालय का, मानवता के हर धर्म का, कर्तव्य और हर कर्म का, ज्ञान के प्रति वंदन का, हर नंदन और चंदन का, उन्नयन-उ...