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Showing posts from May, 2020

एक गीत सुनाने आया हूॅं, कुछ बात पुरानी लाया हूॅं।

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एक गीत सुनाने आ‌‌या हूं, कुछ बात पुरानी लाया हूं । मां की ममता जो भूल गए, मैं याद कराने आया हूं । एक गीत सुनाने आया हूं, कुछ बात पुरानी लाया हूं । छोटा सा था घर एक अपना, था छोटा सा संसार, प्यार लुटाते थे जहां सभी, थी खुशियों की भरमार, जब हम रुठते थे कभी तो, सब मनाते हमें हजार, छोड़ आए हम वो गलियां, अब हो के समझदार, अ ढूंढते रहते हैं जीवन भर, वो अपनापन वो प्यार, नहीं खरीद सकते जिसे हम, चाहे पैसे हो भरमार, छूटे रिश्तों का हर मोल मैं, बस याद कराने आया हूं, एक गीत सुनाने आया हूं, कुछ बात पुरानी लाया हूं । जाने कितनी उंगलियां, हम पकड़ पकड़ कर खड़े हुए, उनके हिस्से की खा खा कर, आज हम इतने बड़े हुए, डांटते पीटते थे गुस्से में, पर प्यार बहुत हमें करते थे, हमरी खुशीयों के खातिर वे, आपस में अक्सर लड़ते थे, अपने स्वार्थ में बांट रहे हम, खुशियों की फुलवारी को,  ममता-स्नेहा, प्यार-मोहब्बत, बच्चों की किलकारी को, बचपन की वो बात पुरानी, बस याद दिलाने आया हूं, एक गीत सुनाने आया हूं, कुछ बात पुरानी लाया हूं । कंधे पर हम बैठ चाचा के , मेला जाया करते थे, लड्डू-जलेबी, खाजा-टिकरी, पेड़े खाया...

दिल ने एक दिन दिल से पूछा।

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दिल ने एक दिन दिल से पूछा, दिल ये बता दिल में क्या है ? दिल ने दिल से दिल को बोला। दिल ये बचपन, यौवन का दर्पण, यादें हैं अंकित और क्या है ? दिल ने फिर से दिल से पूछा, बता यादों में अंकित क्या-क्या है ? दिल ने फिर से दिल को बोला। दोस्त हैं सारे और यादें उनकी, दोस्ती बिना जीवन क्या है ? फिर दिल भी दिल की यादों में खोया, भारत की बातों, अंदाजों मैं खोया, मुकेश के मुख, मुस्कानों को पाकर, एक मीठी सुनहरी यादों में खोया। अब यादों से दिल की आंखें नम थी, जैसे देखा खुशियों का एक दर्पण था, दिल बोला हकीकत में फिर से आकर, प्यारा, प्यारा वो प्यारा क्या दिन था !  By CKS

Hindi translation of 'Dharam Juddha' by Arjun Dev Charan

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DHARAM JUDDHA by Arjun Dev Charan का हिंदी अनुवाद। Arjun Dev Charan के संक्षिप्त परिचय का हिंदी अनुवाद। ARJUN DEV CHARAN, पेशे से एक शिक्षक, मूलतः कवि हैं।  उनके नाटक उनकी कविता के विस्तार की तरह दिखाई देते हैं।  उनके अंदर का कवि अपनी छोटी, कुरकुरी और सटीक पंक्तियों और कोरस (समुह गान) के गीत को अपने नाटक के माध्यम से दिखाता है। सत्तर (70) के दशक के अंत में प्रकाशित राजस्थानी नाटकों की उनकी पहली पुस्तक को राजस्थानी साहित्यिक समुहों में उदासीनता से देखा गया। उस समय तक राजस्थानी में नाटक का मतलब या तो सामाजिक मुद्दों, जैसे विधवा-पुनर्विवाह, दहेज प्रथा आदि पर भटकावपूर्ण एकांकी था या फिर ऐतिहासिक और पौराणिक विषयों पर आधारित लोक नाटक होता था;  एक समकालीन विषय पर एक पूरी लंबाई का नाटक उस समय अनुमान से परे था। हालांकि, अर्जुन का इस दृश्य (क्षेत्र) मैं आगमन न केवल नाटकीय साहित्य की दृष्टि से, बल्कि आधुनिक नाटक मंच के दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है । अर्जुन देव के नाटकों में " दो नाटक आज रा, गुवारी और संकारियो, बोल म्हारी मचली किट्टोक पानी,  धर्म-युद्ध और मुगती...

Hindi translation of 'GILLU' by Mahadevi Verma

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GILLU by Mahadevi Verma का हिंदी अनुवाद। Mahadevi Verma के संक्षिप्त परिचय का हिंदी अनुवाद। महादेवी वर्मा (1907-1987) हिंदी मैं काव्य (कविता) के छायावादी स्कूल की एक प्रमुख कवयित्री थी। वह एक प्रसिद्ध कहानीकार और प्रसिद्ध हिंदी साप्ताहिक "चाँद" की संपादक भी थी। उनके कुछ महत्वपूर्ण कार्यों में  दीप शिखा; यम, निहार (कविता) श्रृंखला की कदियान, मेरा परिवार  शामिल है।  वह मंगला प्रसाद पुरस्कार, भारत भारती पुरस्कार और ज्ञानपीठ पुरस्कार के साथ-साथ पद्म भूषण की प्राप्तकर्ता थी। उन्हें साहित्य अकादमी का सदस्य मनोनीत किया गया था। GILLU पाठ का हिंदी अनुवाद। अप्रत्याशित रूप से, एक सुबह, जब मैंने कमरे से बरामदे में प्रवेश किया, तो मैंने देखा, दो कौवे खेल की तरह फूलों के गमलों पर अपनी चोंच मार रही थी, मोनो लुका-छिपी के खेल में लगे हों। अचानक, कौवे के पौराणिक कथा का मेरे अंदर का परिश्रमी आलोचक मेरे ध्यान द्वारा बाधित होता है जो एक छोटे से जीव पर पड़ता है जो गमले और दीवार के बीच बने जगह में छिपा पड़ा था। करीब जाने पर, मैंने देखा कि वह एक छोटा सा गिलहरी का बच्चा था, जो दुर्घटना वस गल...

Hindi translation of 'Me And the Ecology Bit' by Joan Lexau

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ME AND THE ECOLOGY BIT by Joan Lexau का हिंदी अनुवाद Joan Lexau के संक्षिप्त परिचय का हिंदी अनुवाद।  Joan Lexau का वर्तमान पाठ 'मी एंड द इकोलॉजी बिट' बताता है कि पर्यावरण को संरक्षित करने और पारिस्थितिकी को बचाने का मुद्दा हर शरीर की चिंता और हल करने में मुश्किल है।  पारिस्थितिकी के बारे में उपदेश देना आसान है लेकिन पारिस्थितिकी संरक्षण के नियमों का पालन करना मुश्किल है। ME AND ECOLOGY BIT पाठ का हिंदी अनुवाद। सचमुच लोगों से पारिस्थितिकी के लिए काम करवाना मुश्किल है। हर कोई इसके पक्ष में है लेकिन कोई भी इसके बारे में कुछ नहीं करना चाहता है। कम से कम मैं कुछ कर रहा हूं, चारों तरफ जा कर, लोगों को बता रहा हूं कि उन्हें क्या करना चाहिए।  लेकिन मुझे जो सब मिलता है वह पीठ पीछे बहुत सी बात है। मेरे पास यह कागज माध्यम है।  मेरे पिता के पास एक था जब वह एक बच्चे थे, इसलिए उन्होंने मुझे पिछले साल एक दिला दिया। इसके और मेरे गृह-कार्य के बीच, मेरे पास गेंद और कुछ खेलने के लिए मुश्किल से ही समय होता है, कुछ दिन तो मैं केवल कुछ ही पारियों में भाग लेता हूॅं। ले...

Hindi translation of 'The Pace For Living' by R. C. Hutchinson

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'The Pace For Living' by R. C. Hutchinson का हिंदी में अनुवाद R. C. Hutchinson के संक्षिप्त परिचय का हिंदी अनुवाद  । R. C. HUTCHINSON (आर. सी. हचइनसन), एक ब्रिटिश उपन्यासकार, समकालीन समाज के संवेदनशील मुद्दों को - उसके अपने सभी अंतर्विरोध और विरोधाभासों के साथ, छूने के लिए एक असाधारण स्वभाव प्रदर्शित करते हैं। 'द पेस फॉर लिविंग' में R. C. Hutchinson ने आधुनिक आदमी की पीड़ा को प्रदर्शित कियाा है।  वह बताते हैं कि पुरुषों, चीजों और वस्तुओं की तीव्र गति कैसे सामान्य लय को नुकसान पहुंचाती है और पुरुषों, महिलाओं और बच्चों पर अनुचित दबाव डालती है। The pace for living कहानी का हिंदी अनुवाद। मैंने डबलिन में एक नाटक देखा था जिसका बहुत समय नहीं हुआ था जिसमें मुख्य चरित्र एक छोटे से आयरिश देश के शहर का एक बुजुर्ग अनाज-व्यापारी था। वह कई चिंताओं (परेशानियों) से भरा आदमी था - उसका दिल कमजोर था, उसका भतीजा उसे धोखा दे रहा था, उसकी पत्नी को छुट्टी पर £ 10 खर्च करने का शानदार शौख (धारणा, आदत) था। कुल मिलाकर जीवन की गति उसके लिए बहुत ज्यादा अधिक हो रही थी, और निराशा के एक...

प्रेम की गली।

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प्रेम की गली। प्रेम की गली में कभी हम भी गए। तोड़ बंधने सब तब हम खो गए, तूफ़ा कहती रही रुको तुम रुको, प्रेम बस छल है मत तुम झुको, हम सुनते रहे पर बढ़ते रहे, एक ऐसे भंवर में जा हम फसे। वो गलियां बहुत ही रंगीन सी लगी, काली फूल थी बो भी हसीन सी लगी, अजब सा नशा था एक पागलपन था, मेरे काबू में नहीं मेरा चितवन था, फिर टूटा वो स्वप्न हम देखते रहे, कुछ ऐसे भवर में जा हम फंसे। तूफ़ा ने पूछा फिर रुके क्यों नहीं, भंवर में जाने से चुके क्यों नहीं, कहा चाहा बहुत मगर हो ना सका, जज्बात मैं अपने खो ना सका, फिर रोते रहे वो रुलाते रहे, कुछ ऐसे भवर में जा हम फंसे। दिल ने पूछा मुझे अब होगा क्या, वो गई तोड़कर मेरी गलती थी क्या, समझाया दिल को दिल समझ गया, झूठे शब्दों का मतलब भी गढ़ गया, फिर हम हंसते रहे गाते रहे, जीवन को हर भंवर से बचाते रहे।

लकड़ी का छाता ।

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बरसात का मौसम था । मूसलाधार वर्षा हो रही थी । मूसलाधार वर्षा से उत्पन्न परिस्थितियों एवं संकटों को देखते हुए सरकार ने बच्चों के लिए स्कूल बंद कर रखा था । लेकिन शिक्षकों को विद्यालय में बने रहने का आदेश था, बस इसलिए सभी शिक्षक विद्यालय में बने हुए थे । चार बजते ही सभी शिक्षक विद्यालय से निकले और मुख्य सड़क पर आकर अपने-अपने सवारी का इंतजार करने लगे । कुछ बस का इंतजार कर रहे थे तो कुछ ओटो का इंतजार कर रहे थे । चुंकी वर्षा काफी तेज हो रही थी इसलिए सभी शिक्षक गण एक छोटी सी चाय की दुकान के अंदर बैठकर सवारी का इंतजार कर रहे थे। थोड़ी देर बाद जब वर्षा की गति थोड़ी धीमी हुई तो धीरे-धीरे चलते हुए विज्ञान के शिक्षक श्री देव बाबू भी पहुंचे । स्वभाव से अति विनम्र, शांतिप्रिय, मृदुभाषी परंतु विज्ञान की अनंत ज्ञान को समेटे हुए थे । एक सच्चे गुरु की तरह सभी को अच्छा सलाह देना उनके स्वभाव में था तथा विज्ञान को केवल किताबों तक सीमित नहीं रखते थे । कभी-कभी तो विज्ञान के ज्ञान के कारण उन्हें समस्याएं भी उठाने पर जाते थे ।  उस दिन भी ऐसी ही एक समस्या उनके सामने आ खड़ी हुई । सामान्य तौर पर व...