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Showing posts from August, 2019

वीरों को नमन हमारा ।

कतरा कतरा जिसने अपना मातृभूमि के नाम किया था  | हँसते हँसते प्राणों का फाँसी चढ़के बलिदान दिया था | छाती पर जिसने खाई थी इनकलाब की गोलियाँ | फँसी के फंदे को समझा खेल कूद की डोरिय...

जय भारत भूमि !

जय भारत भूमि हो जयकार तेरा ! अर्पित तुझे पावन प्रणाम मेरा ! पग-पग पर तेरा अभिनंदन हो ! कण-कण मस्तक का चन्दन हो ! तु रहे सदा बनके विश्व विधाता ! गुंजित हो सर्वत्र तेरी गौरब गाथा ! तेरा गुलशन सदा ही आबाद रहे ! घर-घर का भरा हर भंडार रहे ! बरसे सदा अम्बर से यहाँ अमृत ! रहे ये भूमि सदा गंगा सा पवित्र ! अन्न-धन का यहाँ अम्बार रहे ! बढ़ता सदा ही व्यापार रहे ! लोकतंत्र रहे तेरा अजय-अनंत ! दुश्मन सदा हो तेरा परतंत्र ! शांति-समृद्धि हो जन-जन में ! कल्याणकारी शासन हो हर राज्य में ! सदा जय-जयकार तेरे गणतंत्र की हो ! सदा जय-जयकार तेरे प्रजातंत्र की हो ! जय भारत भूमि हो जयकार तेरा ! अर्पित तुझे पावन प्रणाम मेरा ! By  Chandan Kumar Singh रचनाकार - चन्दन कुमार सिंह

अपनों ने ही घर को लूटा |

देखो ! (हाय रे !) किस्मत ये कैसा फुटा अपनों ने ही घर को लूटा नए-नए सपने बुने थे लोग कितने नेक चुने थे जिसको था खुशहाली लाना खेतों में हरियाली लाना घर-आँगन वो जला रहा था दुश्मन सबक...

गाय और मुर्गी

गाय मनुष्य की तरह शिष्ट होती है पवित्र गंगा की तरह विशिष्ट होती है पर मुर्गी अपवित्र और अशिष्ट होती है इसलिए जब गाय को भूख लगती है तो वह माँ को आवाज लगाती है और ‘माऊऊऊऊऊ’ कर...

ऐ मेरे मालिक तू, कुछ तो रहम कर दे।

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ऐ मेरे मालिक तू कुछ तो रहम कर दे संवर जाये जिन्दगी यहाँ ऐसा कोई करम कर दे | कितनी कठिन परीक्षाएँ तू लेता रहेगा जीवन भर नित्य नव क्लेश-संकट देता रहेगा तू दर-दर अब तो शेष जीवन में खुशियों का कुछ वर दे दे ऐ मेरे मालिक तू कुछ तो रहम कर दे तू क्या जाने जीवन है क्या ? पथरीली राहें काँटों भरा हर दिन खुशियों की आश में सहते हैं दुःख लोग क्या-क्या ? जीवन के इन राहों को कुछ तो आसान कर दे | ऐ मेरे मालिक तू कुछ तो रहम कर दे | क्या बच्चे-बूढ़े और जवान सब के सब हैं यहाँ परेशान क्या इस जगत में तेरा ठीक है ये विधान इस घनघोर छाये अँधेरे को कुछ तो कम कर दे ऐ मेरे मालिक तू कुछ तो रहम कर दे | तू तो कहता दर तेरे जो आता खाली हाथ कभी ना जाता क्या तू ने भी अब अपना बदल दिया है ये विधान अगर नहीं तो हर जन का तू दामन खुशियों से अब भर दे ऐ मेरे मालिक तू कुछ तो रहम कर दे | जिसको देता घर भर देता लाखों यहाँ है भूखा सोता उलटा-पुलटा जाने क्यों तू करता रहता है सब काम दीन-हीन, दुखियों की भी तो अब माँगे तू पूरी कर दे | ऐ मेरे मालिक तू कुछ तो रहम कर दे | By  Chanda...

दरिया एक दिन पार करूँगा |

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अभी भले मजधार में हूँ पर दरिया एक दिन पार करूँगा | चाहे जितनी तेज हो धारा या हो अदृश्य सभी किनारा चाहे धारा के विपरीत पड़े जाना या फिर पड़े मौत से लड़ जाना नहीं डरा हूँ नहीं डरूँगा हर अरचन को पार करूँगा अभी भले मजधार में हूँ पर दरिया एक दिन पार करूँगा | चाहे जितना घना हो अंधेरा या हो दुश्मन का पग-पग डेरा चाहे जितना अंजाना पथ हो या फिर कोई अग्नि का पथ हो नहीं रुका हूँ नहीं रुकूँगा हर बाधाएँ पार करूँगा अभी भले मजधार में हूँ पर दरिया एक दिन पार करूँगा | चाहे जितना अविश्वास हो या टूटा-फूटा हर एहसास हो चाहे जितना भूख-प्यास हो या आग उगलता हुआ आकाश हो नहीं झुका हूँ नहीं झुकूँगा हर अवरोध को पार करूँगा अभी भले मजधार में हूँ पर दरिया एक दिन पार करूँगा | चाहे जितनी भी हार हो या फिर हर पल नया प्रहार हो चाहे जितनी बार पड़े गिरना या पड़े अनंत पीड़ा को सहना नहीं हरा हूँ नहीं हारूँगा गिरते-परते भी मंजिल पार करूँगा अभी भले मजधार में हूँ पर दरिया एक दिन पार करूँगा | By  Chandan Kumar Singh            ...

ऐ जिन्दगी मेरा हक़ मेरा मुकाम दे दो |

ऐ जिन्दगी मेरा हक़ मेरा मुकाम दे दो | जो मेरा है मुझको वो ईनाम दे दो | यूँ उलझाओ ना नियमों के बंधन में मुझे, मेरे इम्तिहान का मुझे ईनाम दे दो | अब हिम्मत नहीं जुल्मों-सितम सहने की, म...

अच्छे थे हम बच्चे थे |

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हर सुबह उदासी, शाम उदासी देखो तो सरेआम उदासी दिन भी काली, रात भी काली बस बदहाली और बदहाली पहले सब कितने अच्छे थे अच्छे थे हम बच्चे थे | कभी पढाई, कभी कमाई प्यार से ज्यादा है बेवफ़ाई टेंशन, फैशन, झूठ का डंका हरदम मन में संशय और शंका कच्चे ही पहले अच्छे थे अच्छे थे हम बच्चे थे | सोने सा सुन्दर था सपना प्रेम गली में घर था अपना खेल-कूद और थोड़ी लड़ाई माँ की गोद में लेते थे जम्हाई सड़कें कच्चे पर रिश्ते पक्के थे अच्छे थे हम बच्चे थे | वो खेल-खेल में गाना गाना, बे बात ही शोर मचाना खुशियाँ तब कितने सस्ते थे छोटी-छोटी बातों पर हँसते थे सच्चे सब दिल के अच्छे थे अच्छे थे हम बच्चे थे | By Chandan Kumar Singh

जीत की चाहत

अभी जिंदा है, अभी जिंदा है, जीत की चाहत मेरी | बचपन भी मुझमें जिंदा है, यौवन भी अभी जिंदा है | हाँ जिंदा है, हाँ जिंदा है, लड़कपन मेरी, शरारत मेरी | अभी जिंदा है, अभी जिंदा है, जीत की चाहत ...

जीवन एक परीक्षा

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जीवन एक परीक्षा, हर घड़ी है परीक्षा कितनी ज्ञान है और शिक्षा, बस इसकी परीक्षा, आशा की विश्वास की, संघर्ष की उत्कर्ष की, विज्ञान और इतिहास की, सभ्यता के विकास की, भाषा की परिभाषा की, कर्तव्य और जिज्ञासा की, समय के सदूपयोग की होती घड़ी-घड़ी परीक्षा, जीवन एक परीक्षा, हर घड़ी है परीक्षा । हार की और जीत की, द्वंद की और प्रीत की, अस्तित्व की, व्यक्तित्व की, निष्ठा और चरित्र की, चाल की रफ्तार की, ज्ञान के प्रसार की, विषय के मूल तत्त्व की, होती घड़ी-घड़ी परीक्षा, जीवन एक परीक्षा, हर घड़ी है परीक्षा । कितनी ज्ञान है और शिक्षा, बस इसकी परीक्षा । By Chandan Kumar Singh रचनाकार - चंदन कुमार सिंह